नई दिल्ली। ग्रामीण भारत तेजी से प्रगति कर रहा है। यह क्षेत्र अब केवल कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है; बल्कि यह एक वाइब्रेंट, मल्टी-सेक्टर ग्रोथ इंजन के रूप में उभर रहा है। मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, और ट्रेड जैसे क्षेत्रों ने पिछले कुछ दशकों में कृषि पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह विविधीकरण और बुनियादी ढांचे में हुए बड़े सुधार ग्रामीण भारत को एक उभरते हुए निवेश हॉटस्पॉट के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
लगभग 99% ग्रामीण गांव अब सड़कों, बिजली, और पुलों से जुड़े हुए हैं। मोबाइल पेनिट्रेशन और डिजिटल कनेक्टिविटी नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी है, जिसने ग्रामीण भारत को शहरी बाजारों के करीब लाने और व्यवसायों के लिए नए अवसर खोलने में मदद की है। FMCG से लेकर ई-कॉमर्स तक, विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती क्रय शक्ति और बदलते उपभोग पैटर्न का लाभ उठा रही हैं।
साक्षरता दर में सुधार और बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के साथ, ग्रामीण भारत न केवल आकार में बढ़ रहा है, बल्कि अपनी आर्थिक क्षमता में भी वृद्धि कर रहा है। प्रति व्यक्ति आय $2,000 को पार कर चुकी है, जिससे डिस्पोजेबल आय में भारी वृद्धि हुई है और ग्रामीण खपत को बढ़ावा मिला है। परिणामस्वरूप, विवेकाधीन व्यय (discretionary spending) बढ़ रहा है। ग्रामीण व्यय में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी घट रही है, जो यह दर्शाता है कि अब गैर-आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च किया जा रहा है।