बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दांवपेंच तेज हो गए हैं। केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी मांगें स्पष्ट कर रहे हैं। वे आगामी चुनाव में अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के लिए 20 सीटें मांग रहे हैं। उनकी यह मांग एनडीए गठबंधन में तनाव पैदा कर सकती है
2020 के चुनाव में मांझी की पार्टी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से चार में उसे जीत मिली थी। हालांकि, इस बार चिराग पासवान भी एनडीए के साथ हैं। पिछले चुनाव में पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने 137 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी।
राजनीतिक गतिशीलता और सीट की मांग: चिराग पासवान की एलजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर काफी प्रभाव डाला था। इस कदम से जेडीयू को काफी नुकसान हुआ था। सिर्फ एक सीट जीतने के बावजूद, एलजेपी के नौ उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे। इन पिछली घटनाओं के कारण एनडीए के भीतर की गतिशीलता जटिल है।
मांझी जल्द ही पटना के गांधी मैदान में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वहां लिए गए फैसले बाध्यकारी होंगे। हालांकि वे व्यक्तिगत रूप से 20 सीटें चाहते हैं, लेकिन उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 40 सीटों का दावा किया है। यह आंतरिक मांग एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर संभावित टकराव को उजागर करती है।