नई दिल्ली। अभी भारत के वाणिज्यिक बैंकों में फंसे कर्जे यानी नॉन- परफार्मिंग एसेट्स (एनपीए) का स्तर निश्चित तौर पर 12 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गया है, लेकिन यह स्थिति जल्द बदल सकती है। इस बात की आशंका आरबीआई ने सोमवार को जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर), दिसंबर 2024 में जताई है।
फंसे कर्ज का स्तर 2026 में तीन प्रतिशत हो सकता है: आरबीआई
यह बात आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंक के लाइसेंस पर काम करने वाले 46 सरकारी और निजी बैंकों की रिकार्ड के आधार पर कही है। वैसे अभी (सितंबर, 2024) फंसे कर्ज का स्तर (कुल अग्रिम के मुकाबले ) 2.6 प्रतिशत है, जो पिछले 12 सालों के सबसे न्यूनतम स्तर पर है।
हालांकि, आरबीआई का कहना है कि मार्च, 2026 में यह बढ़कर तीन प्रतिशत हो सकता है। आरबीआई ने संभावित जोखिमों के आधार पर कुल अग्रिम के अनुपात में सकल एनपीए का स्तर बढ़कर अगले दो वर्षों के भीतर 5.3 प्रतिशत तक हो जाने की बात कही है।