नई दिल्ली। SC displeasure over land acquisition सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के बाद कई सालों तक मुआवजा नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी सरकार ऐसा नहीं कर सकती कि वो मुआवजा रोक ले। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से कहा कि वह 1986 में अधिग्रहित की गई भूमि का वर्तमान बाजार मूल्य पर भुगतान करे, बिना किसी मोल भाव के।
विजयनगर लेआउट के लिए हुआ था अधिग्रहण
दरअसल, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद संजय एम नूली की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। नूली भूमि मालिक जयलक्ष्मम्मा और अन्य की ओर से पेश हुए थे। इन जमीनों की करीब दो एकड़ भूमि विजयनगर लेआउट के निर्माण के लिए मैसूर के हिंकल गांव में अधिग्रहित की गई भूमि का बड़ा हिस्सा है।
1984 में जारी हुई थी अधिसूचना
अंतिम अधिग्रहण अधिसूचना मार्च 1984 और अवार्ड 1986 में जारी हुआ था। नूली ने कहा कि अंतिम अधिसूचना जारी करने के बावजूद, प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ताओं को अंधेरे में रखा।
वकील ने कहा कि न तो जमीन पर कब्जा किया और न ही मुआवजा जमा किया या भुगतान किया। जमीन, सभी स्थायी संरचनाओं के साथ, आज तक याचिकाकर्ताओं के कब्जे में है और वे उक्त संपत्तियों के संबंध में कर, बिजली बिल का भुगतान कर रहे हैं।