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GDP Calculation के लिए आधार वर्ष बदलने की योजना

नई दिल्ली। सरकार अर्थव्यवस्था की सटीक तस्वीर को दर्शाने के लिए जीडीपी की गणना को लेकर आधार वर्ष बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही है। यह फरवरी 2026 से अमल में आएगा। जीडीपी गणना के लिए आखिरी बार 2011-12 में संशोधन किया गया था। इसका मतलब कि यह एक दशक से अधिक समय में पहला संशोधन होगा।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के सचिव सौरभ गर्ग का कहना है कि मंत्रालय अगले साल जनवरी से निश्चित अवधि पर होने वाले श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के मासिक अनुमान लाएगा। उन्होंने कहा, ‘अगला आधार वर्ष (जीडीपी) 2022-23 होगा। इसे फरवरी 2026 से लागू किया जाएगा।’

विश्वनाथ गोल्डर की अध्यक्षता में गठित 26 सदस्यीय राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी सलाहकार समिति (एसीएनएएस) के 2026 की शुरुआत तक यह काम पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है। आधार वर्ष को नियमित रूप से संशोधित करना इसलिए जरूरी है, ताकि सूचकांक अर्थव्यवस्था की संरचना में बदलावों को सटीक रूप से दिखाए। गर्ग ने कहा कि मंत्रालय आर्थिक जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। उन्होंने आंकड़ा आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा देने की भी वकालत की।

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