नई दिल्ली के आकाशवाणी रंग भवन में कल शाम प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. बिबेक देबरॉय के जीवन और कार्यों का स्मरण करने के लिए एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। डॉ. देबराय का 1 नवंबर निधन हो गया था। प्रधानमंत्री ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे महान विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कार्यों से उन्होंने भारत के बौद्धिक क्षेत्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। डॉ. देबरॉय एक बहुआयामी प्रतिभा संपन्न विद्वान थे, जिन्हें प्राचीन भारतीय ग्रंथों पर काम करना और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाना पसंद था।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने उनके साथ अपने कार्यकाल का स्मरण किया जब वह डॉ. देबरॉय के साथ नीति निर्माण पर काम करते थे और अर्थव्यवस्था के विभिन्न मुद्दों से निपटने पर चर्चा करते थे। डॉ. मिश्रा ने कहा कि डॉ. बिबेक देबरॉय एक बेहतरीन व्यक्ति थे, जिनकी बौद्धिक क्षमता अर्थशास्त्र से लेकर संस्कृत, साहित्य से लेकर इतिहास जैसे क्षेत्रों में थी। डॉ. मिश्रा ने कहा कि जब डॉ. देबरॉय डीपीआईओ के सदस्य थे, तब डॉ. देबरॉय उनके साथ बातचीत में बहुत ही विनम्र रहते थे। डॉ. देबरॉय बाद में आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बने थे। डॉ. मिश्रा ने डॉ. देबरॉय के प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के साथ के अपने व्यक्तिगत अनुभवों को याद करते हुए कहा कि जब नीतिगत कार्यों से निपटने की बात आती थी, तो डॉ. देबरॉय हमेशा उन्हें आश्वस्त करते थे।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि वह काफी लम्बे समय से डॉ. देबरॉय से भलीभांति परिचित थे और उनमें और डॉ. देबरॉय के बीच समानता यह थी कि दोनों ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की। डॉ. मिश्रा ने भारत में सांख्यिकी प्रणाली से लेकर प्रत्यक्ष कर सुधारों तक विभिन्न विषयों पर डॉ. देबरॉय के साथ हुई बातचीत का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि डॉ. देबरॉय हमेशा अपने कार्यों के प्रति बेहद ईमानदार और प्रतिबद्ध थे।