नई दिल्ली। पद्म विभूषण रतन नवल टाटा दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे, फिर भी वह कभी अरबपतियों की किसी सूची में नहीं आए। उन्होंने 30 से अधिक कंपनियों को नियंत्रित किया जो छह महाद्वीपों के सौ से अधिक देशों में संचालित थीं, फिर भी उन्होंने एक साधारण जीवन जिया। वह ऐसे कॉरपोरेट दिग्गज थे जिन्हें शालीनता और ईमानदारी के गुणों वाला ‘पंथनिरपेक्ष संत’ माना जाता था।
1962 में आर्किटेक्चर में डिग्री हासिल की
न्यूयार्क स्थित कार्नेल विश्वविद्यालय से 1962 में आर्किटेक्चर में बीएस की डिग्री हासिल करने के बाद रतन टाटा परिवार की कंपनी में शामिल हुए थे। शुरुआत में टाटा ग्रुप के कारोबारों का अनुभव प्राप्त करने के लिए उन्होंने शाप फ्लोर पर काम किया फिर 1971 में उनमें से एक नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रानिक्स कंपनी में प्रभारी निदेशक नामित हुए।