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महाअघाड़ी vs महायुती: महाराष्ट्र में कौन सा गठबंधन कहां कितना मजबूत

महाराष्ट्र में चुनावों की संभावना के चलते राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. महा विकास अघाड़ी (MVA) – कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), और महायुति – भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) – दोनों ही गुटों को टिकट वितरण और मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर आंतरिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

शिवसेना और एनसीपी के विभाजन के बाद महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है. MVA जहां अपने हालिया लोकसभा प्रदर्शन के आधार पर राज्य में जीत की उम्मीद कर रहा है, वहीं महायुति महिलाओं और युवाओं के लिए चलाए जा रहे लोकलुभावन योजनाओं के आधार पर सत्ता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.

दोनों गठबंधन कभी भी विधानसभा चुनाव में एक साथ नहीं उतरे हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में MVA ने “जोड़-तोड़” की राजनीति की छाया में स्थानीय मुकाबलों में महायुति को किनारे कर दिया. MVA ने 48 में से 30 सीटें जीतीं, जबकि महायुति को 17 सीटों पर जीत मिली.

MVA में कांग्रेस ने 13 सीटें, शिवसेना (UBT) ने 9 सीटें और NCP (शरद पवार) ने 8 सीटें जीतीं. वहीं महायुति में बीजेपी ने 9 सीटें, शिवसेना (शिंदे) ने 7 सीटें और NCP (अजित पवार) ने केवल 1 सीट जीती. यह मुकाबला कड़ा था जहां दोनों गठबंधनों को लगभग 44 प्रतिशत वोट शेयर मिले. उन 15 सीटों में से जहां जीत का अंतर पांच प्रतिशत या उससे कम था, MVA ने 9 और महायुति ने 6 सीटें जीतीं.

विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त के हिसाब से MVA 153 सीटों (कांग्रेस 63, SHS-UBT 57, NCP-SP 33) में आगे रही, जबकि महायुति 126 सीटों (BJP 79, SHS-शिंदे 40, NCP-AP 6, और राष्ट्रीय समाज पक्ष 1) में बढ़त में रही. राज्य विधानसभा में साधारण बहुमत का आंकड़ा 145 सीटें हैं.

कौन कितना मजबूत

सामान्यत: हम किसी सीट पर पार्टी की ताकत का आकलन करने के लिए पिछले तीन विधानसभा चुनावों के नतीजों को ध्यान में रखा गया है. चूंकि राज्य की दो क्षेत्रीय पार्टियां चार में विभाजित हो चुकी हैं इसलिए 2024 के लोकसभा के अनुसार विधानसभा बढ़तों को भी ध्यान में रखा गया है. सीटों को पांच श्रेणियों में बांटा गया है – बहुत मजबूत, मजबूत, मध्यम, कठिन, और कमजोर.

जबकि शिवसेना और एनसीपी अपने मूल चुनाव चिन्हों के साथ हैं जबकि उनके मूल नेताओं की जगह अब एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने ले ली है. इन पार्टियों की शक्ति का आकलन इस तथ्य को ध्यान में रखकर किया गया है कि 2009 से 2019 तक पार्टी एकजुट इकाई थी, जबकि 2024 में दोनों पार्टियों के दो गुट अलग-अलग चुनाव लड़े. बीजेपी, कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के लिए 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखा गया है.

अगर कोई पार्टी इन चार चुनावों में किसी सीट पर जीती या बढ़त में रही, तो उसे बहुत मजबूत सीट माना गया है. अगर किसी सीट पर तीन चुनावों में पार्टी जीती या बढ़त में रही, तो उसे मजबूत माना गया है. दो चुनावों में जीत या बढ़त मध्यम और सिर्फ एक चुनाव में जीत को कठिन माना गया है. अगर कोई पार्टी किसी सीट पर एक भी चुनाव नहीं जीत पाई तो उसे कमजोर सीट माना गया है. इसके अलावा कमजोर सीटों में वे भी शामिल हैं जिन्हें पार्टी ने कभी लड़ा ही नहीं है.

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