केंद्र सरकार ने वेब सीरीज ‘आईसी-814: द कंधार हाइजैक’ को लेकर उठे विवाद के पश्चात् OTT मंच नेटफ्लिक्स के कंटेंट प्रमुख को तलब किया है। सरकार का कहना है कि किसी को भी देश की भावनाओं से खेलने का अधिकार नहीं है। इस बीच, नेटफ्लिक्स के कंटेंट हेड आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव से मुलाकात करेंगे। यह बैठक शास्त्री भवन में होगी। पूरा विवाद वेब सीरीज में हाईजैकर्स (अपहर्ताओं) के चित्रण को लेकर है। इसे लेकर वेब सीरीज के कथित विवादास्पद पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। एक आधिकारिक सूत्र के अनुसार, किसी को भी इस देश के लोगों की भावनाओं से खेलने का हक़ नहीं है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। क्या हमें किसी विदेशी व्यक्ति को हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से खिलवाड़ करने की अनुमति देनी चाहिए? फिल्म मेकर्स को किसी चीज को गलत तरीके से चित्रित करने से पहले सोचना होगा। आप उदार हो सकते हैं, किन्तु आप संस्थानों को गलत तरीके से चित्रित नहीं कर सकते।
विवाद क्या है?
काठमांडू से दिल्ली की उड़ान भरने वाले इंडियन एयरलाइन के विमान के अपहर्ताओं के ‘मानवीय’ चित्रण से विवाद खड़ा हो गया है। कई दर्शकों ने इस पर आपत्ति व्यक्त की है। ‘बॉयकॉट नेटफ्लिक्स’, ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ के साथ कई ‘एक्स’ यूजर्स ने पोस्ट शेयर किए हैं। दावा किया जा रहा है कि फिल्म मेकर्स ने एक विशेष समुदाय से संबंधित आतंकियों को बचाने के लिए किडनैपर्स के नाम बदलकर ‘शंकर’ और ‘भोला’ कर दिए हैं। बीजेपी के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि आईसी-814 के अपहर्ता खूंखार आतंकवादी थे, जिन्होंने अपनी मुस्लिम पहचान बदलने के लिए दूसरे नाम रखे थे। मालवीय ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘फिल्मकार अनुभव सिन्हा ने उनके गैर-मुस्लिम नामों को महत्व देकर अपनी आपराधिक मंशा को सही ठहरा दिया है। कुछ दशक पश्चात् लोग सोचेंगे कि हिंदुओं ने आईसी-814 का अपहरण किया था।’
मालवीय ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकवादी मुसलमान थे। सीरीज में उनके अपराधों को छिपाने के वामपंथी एजेंडे ने काम किया। यह सिनेमा की ताकत है, जिसका कम्युनिस्ट 70 के दशक से या शायद इससे पहले से ही आक्रामक तरीके से उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ दीर्घकाल में भारत की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होगी या सवालों के घेरे में आएगी, बल्कि उन धार्मिक समूहों का दोष भी हट जाएगा, जो रक्तपात के लिए जिम्मेदार रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह देखना वाकई मजेदार है कि जो लोग ‘कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों को सच मान लेते हैं, वे नेटफ्लिक्स के शो में आईसी-814 की घटनाओं को दिखाए जाने से हताश हो जाते हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘अब अचानक से वे चाहते हैं कि पटकथा में बारीकी और वास्तविकता हो।’
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आईसी-814 वेब सीरीज को लेकर ‘दक्षिणपंथी आक्रोश’ उस वक़्त की बीजेपी सरकार की भारी विफलता की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि रिहा किए गए तीन खूंखार आतंकवादियों—मसूद अजहर, उमर शेख, एवं मुश्ताक जरगर—ने ‘जैश-ए-मोहम्मद’ नामक आतंकवादी संगठन बनाया, जिसने 2001 में संसद पर हमला किया था। उन्होंने याद दिलाया कि तीनों दहशतगर्दो को भारत के वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं तत्कालीन रक्षा मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से सुरक्षा प्रदान की थी।