नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब इस दुनिया में नहीं है। पीवी नरसिंहा राव की सरकार के दौरान भारत के आर्थिक सुधारों का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। अर्थशास्त्र पर मनमोहन सिंह की जितनी अच्छी पकड़ थी, शायद ही किसी और की हो।
लेकिन अर्थशास्त्र के अलावा भी डॉ. मनमोहन सिंह की एक क्षेत्र में रुचि थी। वह शायरी के बेहद शौकीन थे। मनमोहन सिंह भले ही कम बोलते थे, लेकिन जब बोलते थे, तो उनके एक-एक शब्द के मायने होते थे।
मनमोहन को पसंद थी शायरी
संसद में मनमोहन सिंह जब भी अपना संबोधन देते थे, उसमें शायरी जरूर होती थी। विपक्ष को जवाब देने के लिए डॉ. सिंह शायरी का भरपूर इस्तेमाल करते थे। लोकसभा में तत्कालीन नेता विपक्ष और भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज से उनकी शायरी पर खूब जुगलबंदी होती थी।
ये वो दौर था, जब संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आज की तरह तलवारें खिंची हुई नहीं होती थी। मनमोहन की शायरी पर दोनों तरफ से खूब तालियां बजती थीं। उस दौर के उनके कई वीडियो काफी वायरल भी होते हैं।
जब सुषमा से हुई जुगलबंदी
15वीं लोकसभा में डॉ. सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे। उस समय सुषमा स्वराज लोकसभा में नेता विपक्ष हुआ करती थीं। दोनों संसद में अपने संबोधन के दौरान शायरी का खूब इस्तेमाल करते थे। मार्च 2011 में संसद में विकिलीक्स पर खूब हंगामा हुआ था।
कांग्रेस पर आरोप लगा था कि उसने 2008 के विश्वास मत के दौरान सांसदों को रिश्वत दी थी। इस पर सुषमा स्वराज ने डॉ. सिंह पर हमला बोलते हुए शहाब जाफ़री की लाइनें पढ़ीं- तू इधर उधर की बात मत कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा, हमें रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।