3 दिसंबर 2024. श्री हरमंदिर साहिब, अमृतसर. वक्त सुबह के 9 बजे. शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल इन दिनों हरमंदिर साहिब के गेट पर अपनी धार्मिक सज़ा भुगत रहे हैं. ये सज़ा उन्हें सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त की ओर से दी गई है. उन पर राम रहीम को रियायत देकर धर्म के विरुद्ध काम करने का इल्ज़ाम है. सजा के तौर पर वो हरमंदिर साहिब की गेट पर नीले रंग के लिबास में बरछा लिए बैठे हैं. उनके इर्द गिर्द सादे लिबास में पुलिस वाले और उनके कुछ चाहने वाले मौजूद हैं.
कायदे से तो उन्हें खड़ा रहना चाहिए था, लेकिन उनका एक पैर टूटा हुआ है, इसलिए वो प्लास्टर लगाए व्हील चेयर बैठे हैं. उनके गले में तख्ती लटक रही है. इस पर लिखा है… “किसी से बैर ना रखने वाले हे हमारे गुरु पुरख, हम अपराधी हैं और आप बख़्शने वाले हैं. हम आपके पास आकर निर्मल हो जाते हैं.” सजा का पहला दिन यूं ही गुजर जाता है. सुखबीर सेवादार के तौर पर पहले सुरक्षाकर्मी का रोल निभाते हैं और फिर गुरु की रसोई में जा कर श्रद्धालुओं के जूठे बर्तन साफ करते हैं. सजा के दूसरे दिन बादल सुबह 9 बजे गुरुद्वारे के गेट पर तैनात हो जाते हैं.
ठीक एक रोज़ पहले की तरह 4 दिसंबर को भी उनके इर्द गिर्द सादे लिबास में पुलिस वाले तैनात हैं, जबकि कुछ श्रद्धालु और सुखबीर के चाहने वाले भी उनके इर्द गिर्द मौजूद हैं. इस बीच जैसे ही सुबह के 9 बज कर 28 मिनट होते हैं, हरमंदिर साहिब में आ रहे तमाम श्रद्धालुओं के साथ-साथ एक बुजुर्ग भी हाथ बांधे हुए मेन गेट से आगे की तरफ बढ़ता है. वो नंगे पांव है. अंदर जाने से ठीक पहले गेट के पास मौजूद पानी में अपने पांव गीले करता है. लेकिन बाहर निकलने के बाद वो सीधे अंदर जाने की जगह कुछ ऐसा करता है कि आस-पास मौजूद लोग हैरत में आ जाते हैं.