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ट्रंप की जीत पर ये क्या बोल गए जयशंकर, कहा- राष्ट्रपति चुनाव के बाद अमेरिका से घबराए हुए हैं कई देश

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद बहुत से देश अमेरिका को लेकर घबराए हुए हैं। लेकिन भारत उन देशों में शामिल नहीं है।जयशंकर ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप को की गईं पहली तीन फोन कॉल में प्रधानमंत्री भी शामिल थे।
पीएम मोदी की वजह से बहुत मदद मिली
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वास्तव में कई राष्ट्रपतियों के साथ तालमेल बनाया है। जब वह पहली बार वाशिंगटन गए थे, तब ओबामा राष्ट्रपति थे, फिर ट्रंप थे, फिर बाइडन थे। जिस तरह से वह रिश्तों को बनाते हैं, वह स्वाभाविक है। इससे बहुत मदद मिली है।’

प्रधानमंत्री मोदी बॉस के तौर पर कैसे हैं, इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि वह अत्याधिक अपेक्षा करने वाले और सख्त बॉस हैं। वह काफी तैयारी करते हैं। अगर आप उनसे किसी चीज पर चर्चा कर रहे हैं तो आपको पूरी तरह तैयार रहना होगा। आपको पता होना चाहिए कि आप अपनी दलीलें रखने के लिए क्या कह रहे हैं, आपको अपने रुख पर कायम रहना चाहिए और आपके पास डाटा होना चाहिए। उनकी दूसरी विशेषता यह है कि वह काफी चर्चा करने वाले बास हैं। वह निर्णय लेते हैं और फिर आपको काम करने की छूट देते हैं।

तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। पिछले दशक में निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, खासकर सेवाओं में। इस अवधि में भारत में निवेश भी दोगुने से अधिक हो गया है।

जयशंकर ने आगे कहा कि उच्चस्तरीय नेताओं एवं कारोबारियों के निरंतर आगमन से हमारे साथ जुड़ने में लोगों की रुचि स्पष्ट दिखाई देती है। आर्थिक कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करना भारतीय विदेश नीति के प्रमुख परिवर्तनों में से एक बन गया है, जिसका मूल उद्देश्य अब राष्ट्रीय विकास और सुरक्षा है। उन्होंने कहा कि रुझान अधिक विविधतापूर्ण और बहुध्रुवीय विश्व की ओर है; लेकिन पुरानी व औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं खत्म नहीं हुई हैं और निवेश का प्रमुख लक्ष्य बनी हुई हैं।

देश को दिया विकास का मंत्र
जयशंकर ने कहा कि कोई भी राष्ट्र एक आयामी तरीके से विकास नहीं कर सकता है, विशेष रूप से भारत जैसे बड़े देशों में कुछ बुनियादी आत्मनिर्भरता होनी चाहिए। अन्यथा, हथियारबंद अर्थव्यवस्था के युग में हम खुद को कमजोर बनाए रखेंगे। भारत को आगे बढ़ने के लिए गहन प्रौद्योगिकी विकसित करनी होगी और शोध, डिजाइन व नवाचार करने की क्षमता पैदा करनी होगी। यह तभी संभव होगा जब विनिर्माण का विस्तार होगा और औद्योगिक संस्कृति की जड़ें गहरी होंगी।

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