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भीख मांग रहा पाकिस्तान, कैसे सेना को बना रहा आधुनिक? नौसेना प्रमुख बोले- यह गंभीर चिंता की बात

नई दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने चीन के समर्थन से पाकिस्तान को उपकरण और हथियार मिलने को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह चकित करने वाली बात है कि एक अर्थव्यवस्था, जो डगमगा रही है और अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए भीख मांग रही है, वह सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए धन कैसे जुटा सकती है?

नौसेना प्रमुख ने एक साक्षात्कार में कहा कि वे पाकिस्तानी नौसेना में जो कुछ हो रहा है, उस पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह गंभीर चिंता की बात है। यह आश्चर्य की बात है कि एक अर्थव्यवस्था जो लड़खड़ा रही है और अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए भीख मांग रही है, वह अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन कैसे जुटा सकती है।

राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं
वे विभिन्न स्त्रोतों से किस प्रकार के हथियार और प्लेटफार्म हासिल कर रहे हैं, उस पर नजर रख रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए हमने रणनीति बनाई है कि क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता नहीं होने पाए।’ उन्होंने बताया कि भारतीय शिपयार्डों में 63 जहाजों का निर्माण किया जा रहा है।

चीन की नौसेना पर भी निगाहें
पाकिस्तान को चीन से उपकरण और हथियार सहायता मिलने के बारे में कहा, “जहां तक ​​चीन का सवाल है। आप पूरी तरह से जानते हैं कि यह संख्या के मामले में सबसे बड़ी नौसेना बन गई है। हम इस पर भी नजर रख रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि भारतीय शिपयार्ड में 63 जहाज बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 17 ब्रावो जहाज 7000-8000 टन के बहुत सक्षम फ्रिगेट हैं। हमारी दीर्घकालिक एकीकृत परिप्रेक्ष्य योजना के मुताबिक हमारे पास 24 फ्रिगेट होने चाहिए। यही वजह है कि 7 नए स्टील्थ फ्रिगेट क्षमता को और बढ़ाएंगे।

2047 तक आत्मनिर्भर होगी नौसेना
नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय नौसेना 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगी। मुझे नहीं लगता कि सतह से सतह तक के किसी भी प्लेटफॉर्म को विदेश से खरीदा जाएगा। वे सभी भारत में ही बनाए जाएंगे। नौसेना मुख्यालय में हमने दो स्टार रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में दो टास्क फोर्स का गठन किया है। यह टीम अब उद्योग में जा रही है और इस बारे में सीख रही है कि हम किस तरह की तकनीक को अपनाकर कमियों को दूर कर सकते हैं। हम कुछ हद तक सफल भी हुए हैं। मैं अगले कुछ महीनों को बड़ी उम्मीदों के साथ देख रहा हूं।

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