परमात्मा की शरण में जाने के लिए संतों की कृपा जरूरी है : बाबा फुलसंदे वाले
गुरुद्वारा हाल जोगीपुरा में आयोजित सत्संग के दूसरे दिन आध्यात्मिक संत बाबा फुलसंदे वालो ने कहा ईश्वर का स्मरण करते रहना ही मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, शेष सब कुछ व्यर्थ है। इसलिए इधर-उधर की बातें छोड़कर एक मात्र प्रभु का ही स्मरण करना चाहिए।
साथ ही उन्होंने कहा कि ईश्वर की भाषा मौन है । परमात्मा बिना कुछ बोले, बिना कुछ कहे सबको पहचान लेता हैं हर किसी की इच्छा को जान लेता है। परमात्मा की शरण में जाने के लिए संतों की कृपा जरुरी होती है ।
बाबा ने एक प्रसंग के माध्यम से स्पष्ट करते हुए कहा कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जमीन, सूरज, चंद्रमा किसी का नाम, किसी की जाति, किसी का देश, धर्म या ग्राम पूछकर सेवा नहीं करते, ये तो निस्वार्थ भाव से सबकी सेवा में लगे रहते हैं । मनुष्य को भी जीवन में मानवता के गीत गाकर सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए और भगवान का स्मरण करना चाहिए ।
उन्होंने कहा परमात्मा आत्मा के रिश्ते को अच्छी तरह जानता है, प्रत्येक मानव की प्रेम भावना और सेवा समर्पण को पहचानता है । ऐसा कुछ भी नहीं है जो परमात्मा से छिपा हो । देर तक चले प्रवचन में श्रृद्धालु वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि पर संकीर्तन का भी आनंद लेते रहे।
इस अवसर पर गुलाब सिंह राठौर, शिव गुप्ता, अमृत गांधी, ध्रुव भारद्वाज, कार्यक्रम संयोजक अशोक खुराना, सुरेन्द्र नाज़, जय गांधी, राकेश गुलाटी, पंकज शर्मा, सीताराम कथूरिया, सचिन भारद्वाज, राम बहादुर व्यथित, विष्णु देव चाणक्य, रामवीर सिंह, ज्वाला प्रसाद गुप्ता, उज्ज्वल वशिष्ठ सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे।